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सुदर्शन न्यूज़ द्वारा सिविल सेवा में चयनित छात्रों को ‘जामिया का जिहादी’ कहने पर लोगों की प्रतिक्रियाऐं

ट्रेलर में सिविल सेवा में चयनित होने वाले मुस्लिम छात्रों को टार्गेट करते हुए चव्हाणके ने छात्रों को ‘जामिया का जिहादी’ कहा है. चयनित होने वाले अधिकतर छात्र जामिया की रेज़ीडेंसियल कोचिंग से हैं. जामिया मिल्लिया प्रशासन ने शिक्षा मंत्रालय को इस मामले में पत्र लिखकर यूनिवर्सिटी की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए सुदर्शन न्यूज चैनल और उसके संपादक सुरशे चव्हाणके के विरूद्ध कार्रवाई करने की मांग की है.

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मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली, 28 अगस्त | सुदर्शन न्यूज़ के संपादक और अपनी अमर्यादित टिप्पणी के लिए जाने जाने वाले दक्षिणपंथी पत्रकार सुरेश चव्हाणके ने अपने एक शो के  ट्रेलर में सिविल सेवा में चयनित होने वाले मुस्लिम छात्रों को ‘जामिया का जिहादी’ और ‘अफसरशाही में मुसलमानों का घुसपैठ’ कहा है जिसपर देशभर के छात्रों, बुद्धजीवियों, सामाजिक संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है.

सिविल सेवाओं में मुसलमानों के चयन को चव्हाणके द्वारा ‘सरकारी अफसरशाही में मुसलमानों का घुसपैठ’ कहे जाने पर आईपीएस एसोसिएशन, इंडियन पुलिस फाउंडेशन और अन्य कई संगठनों ने आपत्ती जताई है और इसे साम्प्रदायिक पत्रकारिता कहा है.

ट्रेलर में सिविल सेवा में चयनित होने वाले मुस्लिम छात्रों को टार्गेट करते हुए चव्हाणके ने छात्रों को ‘जामिया का जिहादी’ कहा है. सिविल सेवा में चयनित होने वाले अधिकतर छात्र जामिया मिल्लिया इस्लामिया की रेज़ीडेंसियल कोचिंग से हैं जिसे चव्हाणके ने साज़िश कहा है.

जामिया मिल्लिया इस्लामिया प्रशासन ने शिक्षा मंत्रालय को इस मामले में पत्र लिखकर यूनिवर्सिटी की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए सुदर्शन न्यूज चैनल और उसके संपादक सुरशे चव्हाणके के विरूद्ध कार्रवाई करने की मांग की है.

इंडिया टुमारो से बात करते हुए जामिया के पीआरओ अहमद अज़ीम ने कहा, “हमने शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर उन्हें इस पूरे मामले से अवगत कराया है. पत्र में ये कहा गया है कि सुदर्शन चैनल ने जामिया और एक विशेष समुदाय की छवि को धूमिल करने के साथ-साथ यूपीएससी की छवि भी खराब करने की कोशिश की है.”

चव्हाणके ने सवाल उठाते हुए ये भी कहा है कि, “सबसे कठिन परीक्षा में सबसे ज़्यादा मार्क्स और सबसे ज़्यादा संख्या में पास होने का क्या है राज़.”

चव्हाणके ने देश के बहुसंख्यकों में भय पैदा करने उद्देश्य से  आगे कहा, “आख़िर मुसलमान आईएएस पीसीएस में कैसे बढ़ गए.?” अपने कार्यक्रम का ज़िक्र करते हुए कहा, ‘सरकारी अफसरशाही में मुसलमानों के घुसपैठ पर बड़ा खुलासा. सोचिए, जामिया के जिहादी अगर आप के जिलाधिकारी और हर मंत्रालय में आप के सचिव होंगे तो क्या होगा.”

आईपीएस एसोसिएशन ने इस वीडियो की निंदा करते हुए बयान जारी कर कहा है कि, “धर्म के आधार पर सिविल सेवा में प्रत्याशियों के चयन की ख़बर सुदर्शन टीवी ने दिखाई है. हम इस ‘साम्प्रदायिक और गैरज़िम्मेदाराना पत्रकारिता’ की निंदा करते हैं.”

एक स्वतंत्र थिंक टैंक ‘इंडियन पुलिस फाउंडेशन’ ने इस वीडियो को ‘हेट स्टोरी’ क़रार दिया है.

इंडियन पुलिस फाउंडेशन ने कहा है, “आईएएस/आईपीएस में शामिल होने वाले अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के खिलाफ नोएडा टीवी चैनल द्वारा की गई ‘हेट स्टोरी’ खतरनाक और कट्टर है. हम इसे रीट्वीट करने से बच रहे हैं क्योंकि यह ज़हर की तरह है. हमें उम्मीद है कि, न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी, उत्तर प्रदेश पुलिस और संबंधित सरकारी विभाग इसपर सख्त कार्रवाई करेंगे.”

इस वीडियो में उन्होंने जामिया आवासीय कोचिंग अकादमी (आरसीए) से पढ़कर यूपीएससी की परीक्षा पास करने वालों को जामिया का जिहादी बताया था.

ऑल इंडिया मुस्लिम मुशावरत के अध्यक्ष नावेद हामिद इंडिया टुमारो से बात करते हुए कहते हैं कि, “मैंने इस मामले में प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है और दोषी चैनल के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की है.

उन्होंने कहा कि, “सुदर्शन न्यूज़ का संपादक सुरेश चव्हाणके ने इस साम्प्रदायिक ट्वीट को प्रधानमंत्री को टैग भी किया है. इसपर प्रधानमंत्री कार्यालय को कार्रवाई करनी चाहिए.”

जामिया के रिसर्च स्कॉलर राहुल कपूर ने इंडिया टुमारो से बात करते हुए कहा कि सुदर्शन न्यूज़ के संपादक द्वारा जामिया रेज़ीडेंसियल कोचिंग से सिविल सेवा में चयनित  होने वाले छात्रों को जामिया का जिहादी कहे जाने से मुझे बहुत दुख हुआ है. 

उन्होंने कहा, “जामिया एक ऐसी यूनिवर्सिटी है जो फ्री कोचिंग देती है. इस से मुस्लिम, शेड्यूल्ड कॉस्ट, शेड्यूल्ड ट्राइब और महिलाएं लाभान्वित होती हैं. इससे वो समाज लाभान्वित होता है जो सामाजिक विषमताओं और आर्थिक पिछड़ेपन के करण सिविल सेवाओं में आने के लिए महंगी कोचिंग नहीं ले पाता.”

राहुल कहते हैं कि, “सिविल सेवा में जाने के लिए बहुत मेहनत करनी होती है और यहाँ छात्र अपनी मेहनत से सिविल सेवाओं में चयनित होकर देश सेवा में अपनी भूमिका अदा कर रहा है. ऐसे में किसी चैनल के द्वारा जामिया को और यहां के छात्रों को जिहादी कहना साम्प्रदायिक मानसिकता को दर्शाता है.”

उन्होंने बताया कि, “MHRD ने पिछले महीने जामिया को देशभर में यूनिवर्सिटी रैंकिंग में पहला स्थान दिया है क्योंकि यहां पर एकैडमिक और रिसर्च हाई क्वालिटी लेवल के हैं. ऐसी यूनिवर्सिटी को और छात्रों को जिहादी कहने वालों पर सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए.”

इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों द्वारा दायर एक याचिका पर सुदर्शन न्यूज चैनल के विवादित ट्रेलर के प्रसारण पर रोक लगा दी है.

याचिकाकर्ताओं ने सुदर्शन न्यूज पर “बिंदास बोल” नामक कार्यक्रम के प्रस्तावित प्रसारण को प्रतिबंधित करने की मांग की थी. ये कार्यक्रम शुक्रवार रात 8:00 बजे से प्रसारित होने वाला था.

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