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जमाअत इस्लामी हिंद ने यूपी के हाथरस में दलित युवती के साथ हुए गैंगरेप की निंदा की

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इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | जमात-ए-इस्लामी हिंद ने उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के एक गांव की 19 वर्षीय दलित युवती के साथ हुए गैंगरेप की कड़ी निंदा की है साथ ही पीड़िता को न्याय दिए जाने की मांग की है.

आरोपियों द्वारा इस घटना को अंजाम देने के बाद पीड़िता की ज़बान भी काट दी गई थी और रीढ़ की हड्डी में चोटें आई हैं जिसका अलीगढ़ के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है और हालत गंभीर बताई जा रही है.

घटना 14 सितंबर के सुबह की है जब वह अपनी मां के साथ पशुओं के लिए चारा काटने गई थी.

पीड़िता के भाई की शिकायत पर हाथरस पुलिस ने गैंगरेप, हत्या की कोशिश और एससी / एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है.

इस घटना को अंजाम देने वाले चार आरोपियों में से तीन आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं जबकि पुलिस चौथे की तलाश कर रही है. सभी आरोपी एक ही गाँव के हैं और उच्च जाति के बताए जा रहे हैं.

गाँव में कुल 600 परिवारों में से केवल 15 परिवार दलित हैं. लगभग 400 सवर्ण परिवार हैं. मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि दलितों पर अतीत में भी उच्च जातियों के हाथों उत्पीड़न और अत्याचार हुआ है.

जमाअत इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो० सलीम इंजीनियर ने मीडिया को जारी बयान में कहा है कि, “इस घटना की जांच और मामले सुनवाई जल्द से जल्द होनी चाहिए.”

प्रो० मोहम्मद सलीम ने यूपी सरकार से पीड़िता के लिए “त्वरित न्याय” सुनिश्चित करने के लिए कहा है.

उन्होंने कहा कि, “बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामले यूपी में बढ़ रहे हैं.” उन्होंने कहा कि, “हाल के दिनों में महराजगंज, लखीमपुर खीरी, मेरठ और ग्रेटर नोएडा में नाबालिगों से बलात्कार की कई घटनाएं हुई हैं.”

उन्होंने कहा, “प्रशासन को अपने कानून और व्यवस्था को दुरुस्त बनाकर यौन अपराधों में हुई बढ़ोत्तरी का संज्ञान लेना चाहिए. अपराध ऐसे स्थानों पर बढ़ जाते हैं जहां अपराधी कमजोर कानून व्यवस्था से डर महसूस नहीं करते हैं और वो समझते हैं कि वे सिस्टम को मैनेज कर लेंगे और सज़ा से बचे रहेंगे.”

यह कहते हुए कि दलित समस्या भारत में अतीत से ही एक लंबी और अनसुलझी समस्या है जिसे सुलझाने में देश और समाज दोनों को योगदान देना चाहिए, प्रो सलीम ने कहा कि, “दलितों को अभी भी पूजा स्थलों में प्रवेश करने से रोके जाते हैं, पानी पीने से लेकर ऊंची जाति के लोगों के बीच बैठने तक में भेदभाव की ख़बरें सुनने को मिलती हैं.”

उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि, “राज्य को दलितों से घृणा सम्बंधित अपराधों और उनपर अत्याचारों के मामलों में सख्त रवैया अपनाना चाहिए और ये सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी की भी गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला सज़ा पाए बिना न रहे.”

प्रो० मोहम्मद सलीम ने सामाजिक कार्यकर्ताओं, धार्मिक नेताओं और राजनीतिक दलों को सोशल इंजीनियरिंग की नीति को अपनाने और लोगों को समानता, भाईचारे और बंधुत्व के सिद्धांत का पालन करने के लिए प्रेरित करने का सुझाव दिया.

उन्होंने कहा कि, “देश में सकल आय की असमानता और सामाजिक गैर बराबरी व अन्याय के साथ ‘आर्थिक समृद्धि’ एक भ्रम मात्र है जो कभी पूरा नहीं हो सकता.”

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