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आसिफ तन्हा की याचिका पर मीडिया में गोपनीय सूचना लीक करने पर दिल्ली पुलिस को कोर्ट का नोटिस

याचिकाकर्ता आसिफ तन्हा का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने यह जानकारी मीडिया में लीक की है और इस जानकारी को ऑपइंडिया, जी मीडिया, फेसबुक और यूट्यूब जैसे मीडिया प्लेटफॉर्म पर लीक करने वाले अधिकारी के मिसकन्डक्ट की जांच की जाए.

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अज़हर अंसार | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली, 27 अगस्त | दिल्ली पुलिस के हवाले से पिछले दिनों दक्षिणपंथी मीडिया ने CAA आंदोलन में सक्रीय रहे गिरफ्तार छात्र नेता आसिफ इक़बाल तन्हा को लेकर एक ख़बर प्रकशित की जिसमें ये दावा किया गया था कि ये आसिफ का क़बूलनामा है. गोपनीय सूचना के लीक होने और मीडिया के मनगढ़ंत दावे को लेकर आसिफ तन्हा ने एक याचिका दायर की जिसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है.

दिल्ली पुलिस की गोपनीय सूचना को एक्सक्लुसिव ख़बर बताकर मीडिया में प्रकशित किए जाने को लेकर लगातार दिल्ली पुलिस के साथ-साथ मीडिया पर भी सवाल उठ रहे हैं.

ये ख़बर ज़ी न्यूज़ और हिंदुत्ववादी प्रोपगंडा न्यूज़ पोर्टल ऑप इंडिया के ज़रिए प्रकाशित की गई थी. ख़बर में ये दावा किया गया था कि दिल्ली पुलिस से जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा के मामले में एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है.

दक्षिणपंथी मीडिया हाउस ने ये भी दावा किया था कि आसिफ ने पूछताछ के दौरान ये क़ुबूल किया है कि वह जामिया और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में शामिल था और फरवरी में हुई हिंसा पूर्वनियोजित थी. ये भी कहा गया कि उसने जेएनयू के छात्र उमर खालिद के कहने पर बसों में आग लगाई और हिंसा करने के लिए लोगों को उकसाया था.

इस मामले में 24 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट ने जांच से संबंधित संवेदनशील जानकारी मीडिया को लीक करने को लेकर दिल्ली पुलिस और दो मीडिया संगठनों ऑप इंडिया और ज़ी मीडिया समेत दो रेस्पोंडेंट (फेसबुक और यू ट्यूब) को नोटिस जारी किया है. अदालत ने ये नोटिस जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा की याचिका पर जारी किया है.

आसिफ को 16 मई को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिसम्बर 2019 में जामिया इलाके में हुई हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किया था. बाद में आसिफ का नाम उत्तर-पूर्व दिल्ली हिंसा मामले में भी जोड़ दिया गया. आसिफ को जामिया हिंसा के मामले में मई के आखिरी सप्ताह में ही ज़मानत मिल चुकी है जबकि दिल्ली हिंसा मामले में पुलिस की जाँच अभी भी जारी है.

आसिफ ने हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में दिल्ली पुलिस द्वारा कथित तौर पर जांच संबंधित संवेदनशील जानकारी कई मीडिया संगठनों को लीक किए जाने को लेकर जांच का आदेश देने की मांग की थी.

जस्टिस विभु बाखरू ने दिल्ली पुलिस और दो मीडिया संगठनों के साथ-साथ दुसरे प्रतिवादियों (रेस्पोंडेंट) को भी नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है. याचिका में दिल्ली पुलिस के अधिकारियों द्वारा लीक हुए संवेदनशील गोपनीय सूचना को भी हटाए जाने की मांग की गई है जिस पर उनसे जवाब देने के लिए कहा गया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने 11 सितंबर तक पुलिस को नोटिस का जवाब देने के लिए कहा है.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने यह जानकारी मीडिया में लीक की है और इस जानकारी को ऑपइंडिया, जी मीडिया, फेसबुक और यूट्यूब जैसे मीडिया प्लेटफॉर्म पर लीक करने वाले अधिकारी के मिसकन्डक्ट की जांच की जाए.

याचिकाकर्ता आसिफ ने अपने वकील सिद्धार्थ अग्रवाल के जरिए जस्टिस बाखरू के समक्ष दायर याचिका में कहा कि इस तरह जानकारी लीक करना निष्पक्ष सुनवाई के लिए हानिकारक हैं क्योंकि इससे न्यायाधीश और अन्य लोगों के मन मस्तिष्क पर नकारात्मक असर पड़ेगा, जो निष्पक्ष सुनवाई के लिए ठीक नहीं है.

दिल्ली पुलिस पर दुर्भावनापूर्ण मंशा से काम करने का आरोप लगाते हुए याचिकाकर्ता ने कहा है कि लीक की हुई जानकारी का कोई प्रामाणिक महत्व नहीं है. याचिकाकर्ता ने मामले की मौजूदा जांच की मीडिया रिपोर्टिंग को लेकर भी दिशानिर्देश तय करने की मांग की है. अब मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी.

आसिफ के कुबूलनामे के नाम पर प्रसारित की गई भ्रामक जानकारी के सम्बन्ध में इंडिया टुमारो ने वकील तमन्ना चतुर्वेदी से बात की. वे कहती हैं, “जो जानकारी पुलिस आसिफ के वकील से भी साझा नहीं कर सकती है वो जानकारी मीडिया में क्यों प्रसारित करवा रही है. ये पुलिस की नियत को बताता है कि वो इस तरह से सुनवाई के पहले, जजों और न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करना चाहती है.”

उन्होंने कहा, “किसी भी मामले में न्यायिक प्रक्रिया के दौरान जाँच सम्बन्धी संवेदनशील जानकारी मीडिया या किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर साझा करना गैर कानूनी है और ये मिस-इनफार्मेशन प्रसारित करने के दायरे में भी आता है. इस बारे में कोर्ट ने पहले भी आदेश जारी किया था.”

पुलिस के ज़रिए लीक की जाने वाली इस तरह की जानकारी के सम्बन्ध में बात करते हुए जमात ए इस्लामी, हिन्द के राष्ट्रीय महासचिव इंजिनियर मुहम्मद सलीम कहते हैं, “ये सभी जानकारी और कुबूलनामे अदालत में स्वीकार्य नहीं होते हैं. ये जानते बूझते भी पुलिस मीडिया के ज़रिए अपने आपको सही ठहराने के लिए लोगों को भ्रमित करती है. दरअसल वो अदालत में आरोपों को साबित करने में अपनी नाकामी को छुपाना चाहती है.” 

आसिफ के खिलाफ शुरू हुए मीडिया ट्रायल पर बात करते हुए स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अबुल आला सय्यद कहते हैं कि, “आसिफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया का एक एक्टिव स्टूडेंट है और वो बाकी छात्रों के लिए एक आदर्श है. उसके खिलाफ होने वाला मीडिया प्रोपगंडा बहुत ग़लत और निंदनीय है. आसिफ का व्यक्तित्व एक एक छात्र के सामने है, कोई मीडिया ट्रायल उसको कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता है. ऐसे मीडिया ट्रायल के खिलाफ आसिफ के परिवार का कोर्ट में जाने का फैसला बिल्कुल सही और सराहनीय कदम है.”

मीडिया के आरोपों पर बात करते हुए जामिया में मास्टर्स कर रहे छात्र अदी अल हसन कहते हैं, “आसिफ अपने आदर्शों और सिद्धांतों पर चलने वाला एक मुस्लिम छात्र है जो कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं कर सकता. गोदी मीडिया और पुलिस का प्रोपगंडा उसके विश्वास और उसकी हिम्मत को हिला नहीं सकते हैं”

ज्ञात हो कि इससे पहले जस्टिस विभु बाखरू ने ही दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों की आरोपी जेनएयू छात्रा देवांगना कलीता की याचिका पर उनके खिलाफ आरोप तय होने और मुकदमा शुरू होने तक आरोपों संबंधी सूचनाएं प्रसारित करने से दिल्ली पुलिस को रोक दिया था.

देवांगना ने अपनी याचिका में कहा था कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के संबंध में चुनिंदा तरीके से सूचनाएं सार्वजनिक कर रही है और उनके संबंध में जो जानकारी फैलाई जा रही है वो भ्रामक है.

उन्होंने यह भी कहा था कि इस तरह की भ्रामक जानकारी से उनकी एवं उनके परिवार की सुरक्षा को खतरा है.

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