इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पारित तीन संशोधित कृषि संबंधी बिलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का ज़िक्र न होना तथा कॉरपोरेट्स को कृषि उपज की जमाखोरी की अनुमति दिए जाने पर इस बिल का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए दर्जनों व्यापार, मानवाधिकार और कृषि संगठनों के प्रतिनिधियों ने दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के बाहर मंगलवार को If We Do Not Rise के बैनर तले ‘बोल के लब आज़ाद है तेरे’ अभियान के तहत विरोध प्रदर्शन किया.
बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा राज्यसभा में फार्म बिलों पर वोटों की अनुमति नहीं दिए जाने और रविवार को वोटिंग के बिना बिलों को पारित करने की अनुमति देने वाले राज्यसभा के उप सभापति के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले आठ विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिए जाने को लेकर सरकार की आलोचना करते हुए गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने इसे भारत के संसदीय लोकतंत्र का “काला दिवस” कहा.
उन्होंने कहा कि, “मोदी के अधीन सरकार पूरी तरह से तानाशाह हो गई है और UAPA जैसे क्रूर और देशद्रोह कानून का इस्तेमाल असंतोष की आवाज़ों को रोकने के लिए रही है.”
प्रदर्शनकारियों ने अपने मांग पत्र को प्लेकार्ड के माध्यम से प्रदर्शित किया. मांगों में 13 विषयगत क्षेत्र शामिल हैं : लोकतांत्रिक अधिकार, पारदर्शिता और जवाबदेही, संस्थागत स्वायत्तता और अखंडता, जीवन और सुरक्षा का अधिकार, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा का अधिकार, कार्य का अधिकार, राजनीतिक भागीदारी का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, प्राकृतिक संसाधनों तक पहुंच, प्रौद्योगिकी और निगरानी, विकलांग व्यक्तियों और मीडिया के अधिकार. इनमें कुल 110 मांगें थीं।
विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले संगठनों में एआईडीडब्ल्यूए, एआईडीएमएएम, अनहद, इंडियन क्रिश्चियन फॉर डेमोक्रेसी, मज़दूर एकता समिति, मदर टेरेसा फाउंडेशन, एनएफआईडब्ल्यू, एनटीयूआई, पहचान, महिला संगठन, पुनर्वास अनुसंधान पहल, सतर्क नागरिक संगठन, यूनाइटेड क्रिश्चियन फ़ोरम यूनिटी ऑफ क्राइस्ट आदि शामिल थे।
भाग लेने वालों में एनएफआईडब्ल्यू से एनी राजा, दीप्ति भारती, मरियम धवले, मैमूना मुल्लाह, एआईडीडब्ल्यूए से आशा शर्मा, अखिल भारतीय दलित अधिकार मंच से अभिरामी जोथी , यूनिटी ऑफ क्राइस्ट से मिनाक्षी सिंह, पुरोगामिनी महिला समिति से सुचित्रा, मज़दूर एकता समिति से बिरजू नायक, अनहद से शबनम हाशमी और तरुण सागर कवि व वैज्ञानिक गौहर रज़ा और कई अन्य शामिल रहे.
इससे पहले कई सांसदों और राजनीतिक नेताओं को मांगों का चार्टर भी सौंपा गया था, जिनमें प्रमुख रूप से
कनिमोझी करुणानिधि (डीएमके), डी राजा (महासचिव सीपीआई), बिनॉय विश्वम (सीपीआई), संजय सिंह (आप), मनोज झा (आरजेडी), कुंवर दानिश अली (बसपा), जावेद अली (सपा), शक्तिसिंह गोहिल (आईएनसी), इलामरम करीम (सीपीएम), कुमार केतकर (नामांकित सदस्य) और केके रागेश (सीपीएम) शामिल हैं.