इंडिया टुमारो
नई दिल्ली, 11 सितंबर | प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता और आर्य समाज के प्रमुख चेहरे के रूप में जाने जाने वाले स्वामी अग्निवेश की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के आईएलबीएस अस्पताल में भर्ती कराया गया है. वहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है. सोशल मीडिया पर लोग उनके जल्द स्वस्थ होने के लिए दुवाएँ करते हुए पोस्ट लिख रहे हैं.
स्वामी अग्निवेश को नई दिल्ली के इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बायिलरी साइंसेज (आईएलबीएस) में भर्ती कराया गया है. वह लिवर सिरोसिस से पीड़ित हैं और मल्टी ऑर्गन फेल्योर के कारण मंगलवार से ही वेंटिलेटर पर हैं.
विभिन्न धर्मों के लोग स्वामी अग्निवेश के बीमार होने की ख़बर सुनकर सोशल मीडिया पर उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हुए लगातार पोस्ट लिख रहे हैं.
जमाअत इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इंजीनियर मोहम्मद सलीम ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से स्वामी अग्निवेश के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हुए पोस्ट साझा की है.
उन्होंने लिखा है, “आइए, हम स्वामी अग्निवेश जी के शीघ्र स्वस्थ होने और उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हैं.”
इसी प्रकार रांची के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी अशोक वर्मा ने भी फेसबुक पोस्ट के माध्यम से स्वामी अग्निवेश के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना की अपील की है.
उन्होंने लिखा है, “देश के जन संघर्षों के प्रतीक स्वामी अग्निवेश लीवर की गंभीर बीमारी के कारण दिल्ली के एक अस्पताल में जीवन और मौत से जूझ रहे हैं. ताजा जानकारी मिली है कि स्वामी जी आज कोमा में चले गए हैं. हम स्वामी अग्निवेश की सेहत के लिए दुआ करें.”
मानवाधिकार संस्था क्विल फाउंडेशन के डायरेक्टर सुहैल के के ने फेसबुक पर लिखा है कि, “हमारे समय का वास्तविक योद्धा बीमार है, कृपया उनके शीघ्र स्वस्थ होने की दुआ करें.”
स्वामी अग्निवेश सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने 1970 में आर्य सभा नाम की राजनीतिक पार्टी बनाई थी और 1977 में वह हरियाणा विधानसभा में विधायक चुने गए और हरियाणा सरकार में शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं. उन्होंने 1981 में बंधुआ मुक्ति मोर्चा नाम के संगठन की स्थापना की थी.
ज्ञात हो कि जन लोकपाल विधेयक को लागू करने के लिए 2011 में इंडिया अगेंस्ट करप्शन के अभियान के दौरान वह अन्ना हजारे के प्रमुख सहयोगी थे. उन्होंने अन्ना हजारे की अगुवाई वाले भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन में भी हिस्सा लिया हालांकि, बाद में मतभेदों के चलते वह इस आंदोलन से दूर हो गए थे.