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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे बसी 48 हज़ार झुग्गियों को हटाने का आदेश दिया

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इंडिया टुमारो

नई दिल्ली, 3 सितंबर | सुप्रीम कोर्ट ने नई दिल्ली में 140 किलोमीटर लंबी रेल पटरियों से लगी हुई लगभग 48,000 झुग्गी-झोपड़ियों को तीन महीने के अंदर हटाने का आदेश दिया है.

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अन्य अदालतों को इन झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने पर कोई स्टे देने से भी रोका है. न्यायालय द्वारा ये निर्देश भी दिया गया है कि कोई भी अदालत इन्हें हटाने पर स्टे नहीं देगी.

लाइवला.इन के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि, “सुरक्षा क्षेत्रों में जो अतिक्रमण हैं, उन्हें तीन महीने की अवधि के भीतर हटा दिया जाना चाहिए और कोई हस्तक्षेप, राजनीतिक या अन्यथा, नहीं होना चाहिए और कोई भी अदालत विचाराधीन क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के संबंध में कोई स्टे नहीं देगा.”

साथ ही न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 31 अगस्त को दिए एक आदेश में कहा, “यदि कोई अतिक्रमण के संबंध में कोई अंतरिम आदेश दिया जाता है, जो रेलवे पटरियों के पास किया गया है, तो यह प्रभावी नहीं होगा.”

लाइवला.इन के अनुसार, यह आदेश एम सी मेहता मामले में पारित किया गया, जिसमें शीर्ष अदालत 1985 के बाद से दिल्ली और उसके आसपास प्रदूषण से संबंधित मुद्दों पर समय-समय पर दिशा निर्देश दे रही है.

न्यायालय के समक्ष उस दायर हलफनामे पर पीठ ने यह निर्देश पारित किया जिसमें रेलवे द्वारा कहा गया कि दिल्ली क्षेत्र में 140 किमी मार्ग की लंबाई के साथ दिल्ली में झुग्गियों की “प्रमुख उपस्थिति” है.

रेलवे ने कहा कि इसमें से लगभग 70 किलोमीटर लंबा ट्रैक पटरियों के निकटवर्ती क्षेत्र में मौजूद बड़े झुग्गी झोपड़ी समूहों से प्रभावित है.

कोर्ट में बताया गया कि ये कलस्टर रेलवे ट्रैक से सटे क्षेत्र में लगभग 48000 झुग्गियों के हैं.

रेलवे ने आगे कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, प्रिंसिपल बेंच द्वारा पारित निर्देशों के बाद, अक्टूबर 2018 में, रेलवे संपत्ति से अतिक्रमण हटाने के लिए एक विशेष कार्य बल का गठन किया गया है.

रेलवे द्वारा अदालत को आगे बताया गया कि अतिक्रमण हटाने के रास्ते में “राजनीतिक हस्तक्षेप” सामने आता है.

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