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लॉकडाउन के कारण देश में उत्पन्न आर्थिक संकट पर जमाअत इस्लामी हिंद ने जताई चिंता

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इंडिया टुमारो

नई दिल्ली, 31 अगस्त | भारत के प्रतिष्ठित मुस्लिम धार्मिक -सामाजिक संगठन जमाअत इस्लामी हिंद ने कोविड-19 महामारी के बाद हुए लॉकडाउन से देश में उत्पन्न गहरे आर्थिक संकट पर चिंता जताई है.

देश के सामने आए इस गंभीर आर्थिक संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए जमाअत की केंद्रीय सलाहकार समिति की बैठक में जो इस सप्ताह आयोजित हुई थी इस मुद्दे पर चर्चा कर एक प्रस्ताव पारित किया गया.

शनिवार को एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, जमाअत इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इंजीनियर मोहम्मद सलीम ने कहा कि बिना किसी तैयारी के और लोगों को कोई समय दिए बिना अचानक लॉकडाउन करने से न केवल करोड़ों लोग अपनी नौकरी खो दिए बल्कि बड़ी संख्या में शहरों से गांवों में माइग्रेशन देखने को मिला. जिसके कारण देश भर में भोजन से वंचित हजारों लोगों की मौत हो गई.

उन्होंने कहा, “कुशल प्रबंधन की कमी के वजह से लाखों लोग जिनमें अधिकतर मज़दूर वर्ग थे शहरों से अपने गांवों की ओर पलायन करने को मजबूर हुए जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में लोग कोरोना के शिकार हो गए. सरकार के इस कदम से देश की जीडीपी बहुत नीचे चली गई जिसने अंततः विकास दर को प्रभावित किया जो आगे चलकर बेरोज़गारी का कारण बनी.

केंद्र सरकार और राज्य सरकारों तथा नागरिकों द्वारा COVID-19 महामारी से उत्पन्न संकटों से निपटने के लिए उठाए गए कदम की सराहना करते हुए इंजीनियर सलीम ने कहा कि, “वर्तमान स्थिति की गंभीरता की मांग है कि सरकार को विभिन्न प्रकार से विफलताओं पर ध्यान देने के बजाय देश की स्थिति को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. सरकार नारों के बजाए, अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों को साथ लेकर कोई ठोस क़दम उठाए.”

यह बताते हुए कि भ्रष्टाचार और जन-विरोधी आर्थिक नीतियों ने महामारी और इसके विनाशकारी प्रभावों का मुकाबला करने में देश की आर्थिक और स्वास्थ्य प्रणाली को बहुत प्रभावित किया है जमाअत के उपाध्यक्ष ने सरकार को भ्रष्टाचार रोकने के लिए ठोस और ईमानदार कदम उठाने की सलाह दी. साथ ही आर्थिक नीतियों की समीक्षा, राष्ट्रीय संसाधनों के निजीकरण की जांच, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों को व्यावसायीकरण से दूर रखने और लोक कल्याण व रोज़गार के लिए पर्याप्त धन आवंटित करने का सुझाव दिया.

यह कहते हुए कि इस तरह की गंभीर स्थिति से निपटने के लिए केवल सरकार पर निर्भर रहना ही काफी नहीं है उन्होंने नागरिकों से आगे आकर अपनी जिम्मेदारी निभाने का आह्वान किया.

उन्होंने लोगों से अपने मतभेदों को भूलने की अपील करते हुए उन्हें राष्ट्रीय संकट की इस घड़ी में भाईचारे और आपसी सहयोग के माहौल को बढ़ावा देने अपील की. उन्होंने कहा कि, समाज के प्रत्येक सदस्य उन लोगों का सहयोग करने के लिए हाथ बढ़ाए जो बेरोज़गार हैं या नौकरी चले जाने के कारण अपने खर्चों को पूरा करने में कठिनाईयों का सामना कर रहे हैं.

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