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हाथरस गैंगरेप: महिला आयोग ने अंतिम संस्कार को लेकर पुलिस पर उठाया सवाल, CJI को लिखा पत्र

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इंडिया टुमारो

नई दिल्ली, 30 सितम्बर । उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप की शिकार 19 वर्षीय दलित युवती की दिल्ली के एक अस्पताल में मौत के बाद प्रशासन द्वारा पीड़िता के परिवार की मौजूदगी के बिना देर रात पुलिस बल की मौजूदगी में अंतिम संस्कार कर दिया गया. राष्ट्रीय महिला आयोग ने प्रशासन द्वारा इस प्रकार किए गए दाह संस्कार की निंदा की है.

राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा घटना पर सवाल खड़ा करने के साथ-साथ दिल्ली महिला आयोग ने भी इस पूरे घटनाक्रम पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया को पत्र लिख कर मामले में जाँच कराने और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने की अपील की है.

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने ट्विट कर सवाल उठाया है कि उत्तर प्रदेश में ऐसी घटना होना, रात 2:30 बजे पुलिस द्वारा अंतिम संस्कार करना और पीड़िता के परिवार को इस प्रक्रिया से दूर रखने को महिला आयोग कठोर निंदा करती है.   

उन्होंने ट्विट कर कहा है, “रात 2:30 बजे पुलिस द्वारा अंतिम संस्कार करना और पीड़िता के परिवार को इस प्रक्रिया से दूर रखने को महिला आयोग कठोर निंदा करती है.  आखिर परिवार को शामिल क्यों नहीं किया गया? रात में अंतिम संस्कार क्यों किया गया.”

पीड़िता के परिवार का आरोप है कि उन्हें अपनी बेटी के अंतिम दर्शन और रीति रिवाज के साथ अंतिम विदाई करने का अवसर भी नहीं दिया गया.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालिवाल ने इस पूरे घटनाक्रम पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कड़ी निंदा की है और इस मामले में चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया को पत्र लिख कर दोषी पुलिस अफसरों और अभियुक्तों के विरुद्ध जाँच की मांग की है.

चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया को लिखे अपने पत्र में, दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल ने कहा, “पीड़िता के साथ 14 सितंबर को गैंगरेप किया गया था और उसे खेतों में मरने के लिए छोड़ दिया गया था. परिवार की बार-बार कहने के बावजूद, स्थानीय पुलिस गैंगरेप या यहां तक ​​कि बलात्कार का मामला दर्ज करने में विफल रही और पांच दिनों तक आरोपी स्कूटी से घूमते रहे.”

उन्होंने पत्र में आगे लिखा है, “सितंबर 22 को पीड़िता का बयान दर्ज किया गया और मामले में गैंगरेप के संबंधित धारा को जोड़ा गया और अन्य आरोपियों की पहचान की गई. पहले दिन से ही पीड़िता की गंभीर स्थिति के बावजूद, उत्तर प्रदेश सरकार ने उसे 28 सितंबर को दिल्ली स्थानांतरित किया जहां उसने अगले ही दिन अपनी गंभीर चोटों के कारण दम तोड़ दिया.”

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालिवाल ने अपने ऑफिसियल ट्विटर हैंडल से लिखा है कि हाथरस की घटना पर मैं स्तब्ध हूँ.

उन्होंने ट्विट किया, “हाथरस की घटना ने इंसानियत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मैं स्तब्ध हूँ, इस घटना से मेरी रूह कांप गयी है। मैंने सुप्रीम कोर्ट के माननीय मुख्य न्यायाधीश एवं सभी अन्य न्यायधीशों को चिट्ठी लिख मामले में इंसाफ दिलवाने की गुहार की है.”

ज्ञात हो कि 14 सितंबर को गाँव के ही ऊंची जाति के चार लोगों ने उसके साथ दुष्कर्म किया था. पीड़िता की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई थी, ज़बान काटने और हत्या का प्रयास किया गया था. भारी विरोध के बाद पीड़िता को इलाज के लिए दिल्ली लाया गया था जहाँ मंगलवार को सफदरजंग अस्पताल में उसकी मौत हो गई.

पीड़िता का शव मध्यरात्रि के आसपास बुलगढ़ी गांव में पहुंचा और अंतिम संस्कार रात 2:30 पर किया गया.

पीड़िता के भाई ने मीडिया को बताया, पुलिस ने जबरन शव को ले लिया और मेरे पिता को दाह संस्कार के लिए साथ ले गए। जब मेरे पिता हाथरस पहुंचे, तो उन्हें पुलिस द्वारा तुरंत (श्मशान) ले जाया गया.

पुलिस ने दावा किया है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किसी भी यौन हमले की पुष्टि नहीं हुई है.

युवती के खिलाफ हुई क्रूरता को लेकर कई नेताओं, बॉलीवुड कलाकारों और एक्टिविस्टों ने नाराजगी जताई है और देश भर में आक्रोश का माहौल है और उसके लिए न्याय की मांग की जा रही है.

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