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मुंबई कोर्ट के बाद दिल्ली की अदालत ने तब्लीग़ी जमात पर लगे आरोप खारिज किए

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मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली, 25 अगस्त | दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को निज़ामुद्दीन स्थित तब्लीग़ी मर्कज़ में शामिल होने और वीज़ा उल्लंघन के मामले में तब्लीग़ी जमात के आठ लोगों को बरी कर दिया है.

सोमवार को दिल्ली की एक अदालत ने आठ विदेशी नागरिकों से वीज़ा उल्लंघन के आरोपों को ख़ारिज कर दिया है. साकेत कोर्ट में ट्रायल का सामना कर रहे इन आठ लोगों को अदालत ने आरोपमुक्त कर दिया.

ज्ञात हो कि पिछले हफ्ते मुंबई हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने तब्लीग़ी जमात से जुड़े मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुए अपनी एक टिप्पणी में कहा है कि तब्लीगी जमात को बली का बकरा बनाया गया.

मुंबई हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा, “उनकी मदद करने के बजाय, हमने उन पर यह आरोप लगाकर जेलों में डाल दिया कि वे यात्रा दस्तावेजों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार हैं और वे कोरोना वायरस फैलाने के लिए ज़िम्मेदार हैं.”

दिल्ली अदालत द्वारा आरोपमुक्त किए गए तब्लीग़ी जमात के आठ विदेशी नागरिकों में दो इंडोनेशिया से, एक किर्गिस्तान, दो थाईलैंड, एक नाइजीरिया, एक कज़ाकिस्तान और एक जॉर्डन से हैं.

रिपोर्ट के अनुसार इन पर लगे तब्लीग़ी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने के आरोप भी ख़ारिज कर दिए गए हैं.

मार्च में वीज़ा शर्तों का उल्लंघन करने, धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने, कोरोना संक्रमण के दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा 955 विदेशी जमात मेंबरों को आरोप पत्र सौंपा गया था.

अदालत ने 911 विदेशी नागरिकों को उनके देश वापस भेजने का आदेश दिया था. हालाँकि 44 विदेशी नागरिकों ने मुक़दमे का सामना करने का निर्णय लिया था.

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, “अदालत ने कहा कि इस बात के सबूत नहीं है कि इन आठ नागरिकों ने उस दौरान मरकज़ के कार्यक्रम में हिस्सा लिया.”

अदालत ने इन विदेशी नागरिकों के ख़िलाफ़ लगे वीज़ा उल्लंघन के आरोपों के ख़ारिज कर दिया.

साथ ही अदालत ने तब्लीग़ी मुख्यालय निज़ामुद्दीन में शामिल होने पर 36 विदेशी नागरिकों के ख़िलाफ़ लापरवाही और सोशल डिस्टेनसिंग के उल्लंघन के आरोप तय किए हैं.

मीडिया के बड़े वर्ग ने तब्लीग़ी जमात को बनाया था निशाना:

मार्च में जब देश में कोरोना वायरस संक्रमण के तेज़ी से फैल रहा था तब दक्षिणपंथी मीडिया ने दिल्ली के निज़ामुद्दीन में स्थित तब्लीगी जमात के मरकज़ को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया था जिसके बाद देशभर में तब्लीग़ी जमात से जुड़े लोगों पर हमले शुरू हुए थे.

‘दि हिन्दू’ अख़बार ने कोरोना कार्टून द्वारा मुस्लिम पहचान को टार्गेट किया

तब्लीग़ी जमात/मुसलमानों को निशाना बनाने में दि हिन्दू जैसे अख़बार ने भी साम्प्रदायिक शैली अपनाई थी. अपने ऑनलाइन एडिशन में कोरोना पर एक कार्टून प्रकशित किया था जिसमें अंतरिक्ष से धरती पर कोरोना को हमला करते हुए दिखाया गया था और कोरोना को मुस्लिम वेषभूषा के साथ दर्शाया गया था.

कोरोना को मुस्लिम पहनावे में दर्शाने के बाद सोशल मीडिया पर सवाल उठाए जाने लगे जिसके बाद दि हिन्दू ने उस विवादित कार्टून को हटा लिया था.

मुंबई हाईकोर्ट ने कहा था कि तब्लीग़ी जमात को बली का बकरा बनाया गया

पिछले हफ्ते मुंबई हाईकोर्ट ने तब्लीग़ी जमात से सम्बंधित मामले में ऐतिहासिक फैसला दिया है. कोर्ट ने अपनी एक टिप्पणी में कहा कि तब्लीगी जमात को बली का बकरा बनाया गया.

न्यायमूर्ति टी वी नलावडे और न्यायमूर्ति एम जी सेवलिकर की खंडपीठ ने यह टिप्पणी 21 अगस्त को 29 विदेशियों के खिलाफ दायर मामलों को खारिज करते हुए की थी.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “महामारी या विपत्ति आने पर राजनीतिक सरकार बलि का बकरा ढूंढने की कोशिश करती है और हालात बताते हैं कि संभावना है कि इन विदेशी लोगों को बलि का बकरा बनाने के लिए चुना गया था.”

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