मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो
नई दिल्ली, 11 सितंबर | सामाजिक कार्यकर्ता और आर्य समाज के प्रमुख चेहरे के रूप में पहचाने जाने वाले स्वामी अग्निवेश का शुक्रवार को दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया है.
मंगलवार को तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के आईएलबीएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी.
वह लिवर सिरोसिस से पीड़ित थे और मल्टी ऑर्गन फेल्योर के कारण मंगलवार से ही वेंटिलेटर पर थे.
विभिन्न धर्मों के लोग स्वामी अग्निवेश के निधन की ख़बर सुनकर दुख व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा कर रहे हैं.
जमाअत इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इंजीनियर मोहम्मद सलीम ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से स्वामी अग्निवेश के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए पोस्ट साझा किया है.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा, “स्वामी अग्निवेश का निधन एक ऐसे योद्धा का निधन है जो सत्य और न्याय के लिए निरंतर संघर्षरत था. वो ऐसे समय में हमारे बीच से गए हैं जब इस समाज को सबसे अधिक उनके संघर्ष और साहस की आवश्यकता थी.”
उन्होंने कहा, “वह एक साहसी, निडर और बेबाक व्यक्ति थे जो मानवाधिकार व मानव गरिमा के लिए आवाज़ बुलंद करते रहे.”
जमाअत के उपाध्यक्ष ने कहा, “स्वामी अग्निवेश का निधन देश और समाज की अपूर्ण क्षति तो है ही साथ ही जमाअत की भी क्षति है. वो अपने संघर्षों और कार्यों के साथ जमाअत इस्लामी हिन्द से भी जुड़े हुए थे. देश के विभिन्न धर्माचार्यों को संवाद और सौहार्द के लिए जोड़ने का मंच धार्मिक जनमोर्चा में वह बहुत सक्रीय थे और एफडीसीए में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी.”
जमाअत उपाध्यक्ष इंजीनियर मोहम्मद सलीम ने कहा, “स्वामी जी देश में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने और नैतिक मूल्यों को बचाए रखने के प्रयास में बहुत सक्रीय थे.”
रिपोर्ट के अनुसार उनके पार्थिव शरीर को सुबह 11 बजे से दोपहर दो बजे तक अंतिम सार्वजनिक श्रद्धांजलि के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर रोड स्थित कार्यालय में रखा जाएगा.
12 सितंबर की शाम हरियाणा के गुरुग्राम ज़िले में स्थित अग्निलोक आश्रम में उनका अंतिम संस्कार होगा.
स्वामी अग्निवेश सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते रहे. उन्होंने 1970 में आर्य सभा नाम की राजनीतिक पार्टी बनाई थी और 1977 में वह हरियाणा विधानसभा में विधायक चुने गए थे.
वह हरियाणा सरकार में शिक्षा मंत्री भी रहे. उन्होंने 1981 में बंधुआ मुक्ति मोर्चा नाम के संगठन की स्थापना की थी.
ज्ञात हो कि जन लोकपाल विधेयक को लागू करने के लिए 2011 में इंडिया अगेंस्ट करप्शन के अभियान के दौरान वह अन्ना हजारे के प्रमुख सहयोगी थे. उन्होंने अन्ना हजारे की अगुवाई वाले भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन में भी हिस्सा लिया हालांकि, बाद में मतभेदों के चलते वह इस आंदोलन से दूर हो गए थे.